Friday, June 8, 2018

लद्दाख की प्रसि‍द्ध पांगोग झील




बहुत कुछ दूर और ऐसा ही रास्‍ता मि‍ला...वीरान। कब पहुँचेंगे सह सोचकर हम बेसब्र होने लगे। जि‍म्‍मी ने सांत्‍वना दीबस अगले मोड़ के बाद बाद हम पैंगोंग होंगे। यहाँ से आपलोगों को झील दि‍खेगी। जैसे मोड़ मुड़ेवाह..दूर से दि‍खती झील की पहली झलक ने हमें पागल कर दि‍या। रास्‍ते की सारी नि‍राशा हवा हो गई। हमने देखा तीन ओर पहाड़ि‍यों से घि‍रा नीले-हरे पानी की झील। रेतीला मैदान,भूरी-काली पहाड़ीउसके पीछे के पहाड़ों में लि‍पटी बर्फस्‍वच्‍छ नीला आकाश और झक सफेद बादल और उनका अक्‍स झील पर। 


लेह से पांगोग झील की दूरी लगभग 150 कि‍लोमीटर है। पांगोग त्‍सो या पांगोग झील एक ऐसी झील है जो 134 कि‍मी लंबी है। यह लद्दाख से ति‍ब्‍बत पहुँचती है। इसका पानी खारा है और यह कुछ-कुछ देर में रंग बदलती है। सर्दियों में पूरी झील जम जाती है। इस पर आप गाड़ी चला सकते हैं। इस झील का तीन हि‍स्‍सा चीन के पास है। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 14,000 फुट की है। और 700फुट से लेकर चार कि‍लोमीटर चौड़ी है। यह झीली इतनी खूबसूरत है कि‍ आप घंटो देखना चाहेंगे। हम बि‍ल्‍कुल करीब थे झील के। जहाँपार्किंग हैं उसके आसपास सैकड़ों दुकानें थी खानेपीने की। कुछ होटल भी। पर हमारा ध्‍यान बि‍ल्‍कुल उधर नहीं गया। हम गाड़ी पार्क कर दौड़े झील की ओर। 





दूर तक नीली झील..भूरे पहाड़ और नीला आसमान। बादलों का अक्‍स पानी पर प्रति‍बिम्बि‍त हो रहा था। अपेक्षाकृत भीड़ कम थी। लोग इस छोर से उस छोर तक फैले हुए थे। हमने कुछ तस्‍वीरें नीली झील की ली ही थी कि‍ तुरंत पानी का रंग बदल गया। अब वो हरा या कहि‍ए फि‍रोजी हो गया। अद्भुत नजरा। सबसे पहले अभि‍रूप पानी में उतरे। वाकई गदगद महसूस कर रहे थे वोक्‍योंकि‍ लद्दाख में आकर पंगोंग झील देखना ही उनकी चाहत थी। पानी स्‍वच्‍छ और पारदर्शी था। कुछ देर हमलोग कि‍नारे बैठकर नि‍हारते रहे। यह ढील इतनी अद्भुत है कि‍ इसे शब्‍दों में बांध पाना मुमकिन नहीं। आपको अपनी आँखों से खुद देखना होगातभी इसकी सुंदरता महसूस कर पाएँगे। 






'थ्री इडि‍यटने इस झील को और प्रसि‍द्ध कर दि‍या है। ऑल इज वेल का बड़ा -सा पोस्‍टर लगा था और वैसी ही कुर्सियाँ लगी थीं,जो फि‍ल्‍म में दि‍खाई गई हैं  जि‍स पर पर्यटक बैठकर फोटो नि‍कलवा सकते थे और इसे लि‍ए पैसे देने पड़ते। वैसा ही पीला स्‍कूटर खड़ा थाऔर करीना कपूर ने जो शादी वाला लहॅँगा पहना थाउसे पहनकर लड़कि‍याॅँ बड़े चाव से तस्‍वीरें खिंचवा रही थी। उधर परंपरागत लद्दाखी ड्रेस याक पर लादे कुछ लोग थे ,जो कि‍राए पर कपड़े देकर कुछ देर के लि‍ए आपको स्‍थानीय नि‍वासी होने की अनुभूति‍ दे सकते थे। जाहि‍र हैहमने भी कुछ तस्‍वीरें खिंचवाई । 









अब हम दूसरी ओेर गए। यह वही जगह थी जहाँ फि‍ल्‍म के अंति‍म सीन में आमि‍र खान खड़ा होता है। वहाँ पानी के अंदर कुछ पत्‍थर थे और उस पर बैठकर फोटो खिंचवाने वाले लोगों की कतार लगी थी। बहुत सी तस्‍वीरें लीं हमने। तभी पानी का रंग फि‍र बदला। अब वो कालापन लि‍ए भूरा था। हम वाकई प्रकृति‍ का आनंद ले रहे थे। हालाँकि‍ एक बात जो केवल मैंने महसूस की कि‍ वहाँ पहुँचने के बाद मैं बेहद शांत हो गई। एक जगह से उठने का बि‍ल्‍कुल मन नहीं हो रहा था। पर बाकी लोगों के साथ ऐसा कुछ नहीं था। शायद ऑक्‍सीजन की कमी हो गई होगी। 




बहरहालखूबसूरती को आॅँखों में बसा रहे थे हम। वहाँ भी रंगीन पताकाएँ लगी हुई थी। कुछ तस्‍वीरें और ली फि‍र पास में बने छोटे-छोटे रेस्‍तराँ में गए और थोड़ा कुछ खाया। हमें लौटना था उसी शाम और रास्‍ता बेहद ऊबाऊ था। इसलि‍ए हमलोग शाम ढलने से पहले ही नि‍कल गए। वापसी में पहाड़ी नदी के ठंडे पानी का मजा लि‍या। खूब शीतल जल था और कुछ देर तक पैर डालकर बैठने से आराम आया। चेहरे पर भी शाीतल जल के छींटो ने सफर की थकान जरा कम की। 



क्रमश:- 13

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