Tuesday, October 9, 2012

((((.... सुप्रभात मि‍त्रों....))))

वाकई....सुबह का अपना आनंद होता है....सब तरोताजा...अलसाई आंखों को भी सुकून देने वाला पल....सूरज का धीरे-धीरे नि‍कलना....कलि‍यों का फूल बनना...एक अनोखी सुगंध पूरे वातावरण में छाई रहती है....देर रात तक जागने वाले इस सुख से वंचि‍त रहते हैं.....मेरी तरह....चलो आज तो सुबह का स्‍वागत कि‍या मैंने और आप दोस्‍तों को भी सुप्रभात.....


अभी सूरज ने ठीक से आंख भी न खोली थी
और चि‍ड़ि‍यों ने डालने शुरू कर दि‍ए फेरे
जैसे कि सूरज के लाल गोले को
मुंह में दबा....ति‍नके की तरह ले आएगी

हवाओं ने इस मुलामि‍यत से
पत्‍ति‍यों-फूलों को सहलाया कि खि‍लने लगी कलि‍यां
जैसे कि सुबह-सुबह नींद में डूबे बच्‍चे की आंखें
मां के धीरे-धीरे सर सहलाने से खुलती है....

7 comments:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

deep composition!

Unknown said...

आज आपकी ब्लॉग पर आना हुआ.आपकी लिखी हुई प्रस्तुतियां देख कर दिल बाग़ बाग़ हो गया.हर एक रचना अपना एक असर रखती है.जिसमे आपकी सोच और आपके खयालात का गहरा असर झलकता है.शुभकामनायें.

मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या बात
बहुत सुंदर

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

सुप्रभात,को अपने भावों से बड़ी खूबशूरती से उकेरा है,,,
बधाई रश्मि जी,,,,

RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

Aditi Poonam said...

एक सुहावनी सुबह को कितनी खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है आपने रश्मि जी

sangita said...

प्रकृति की प्यारी सी किलकारी सी गुंजन करती पोस्ट है आपकी ,सदा ही ऐसा ही होता आया है की कवी मन वहीँ बंधता है जहाँ मासूमियत होती है |

sangita said...

प्रकृति की प्यारी सी किलकारी सी गुंजन करती पोस्ट है आपकी ,सदा ही ऐसा ही होता आया है की कवी मन वहीँ बंधता है जहाँ मासूमियत होती है |