Friday, June 29, 2018

पास बैठो तुम....


आओ न
पास बैठो तुम
तुम्‍हारे मौन में
मैं वो शब्‍द सुनूंगी
जो जुबां कहती नहीं
दि‍ल कहता है तुम्‍हारा....


आओ न
फि‍र कभी मेरे इंतजार में
तुम तन्‍हा उदास बैठो
और दूर खड़ी होकर
मैं तुम्‍हारी बेचैनी देखूंगी...

आओ न...
मि‍ल जाओ कभी
राहों में बाहें फैलाए
मैं नि‍कल जाऊँगी कतराकर मगर
खुद को उनमें समाया देखूंगी......

आओ न...
फि‍र से अजनबी बनकर
मेरा रास्‍ता रोको..मुझसे बात करो
मुझे लेकर दूर कहीं नि‍कल जाओ
वादा है मेरा, झपकने न दूंगी पलकें
बस, तुममें ही डूबकर जिंदगी बसर करूंगी......।

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