Tuesday, June 12, 2018

शे मोनेस्‍ट्री - लद्दाख




सुबह एक बार फि‍र पूरी हि‍म्‍मत सँजो।कर हम नि‍कल पड़े। मगर आज बच्‍चों ने इंकार कर दि‍या। कहा बेहद थके हैं। होटल में ही आराम करेंगे। आपलोग मठ घूम आओ। सबसे पहले हम पहुँचे कर्मा दुप्‍ग्‍युद चोएलिङ्ग मठ जो लेह से करीब 9 कि‍लोमीटर की दूरी पर है। इस मठ की देखभाल ति‍ब्‍बती बौद्ध धर्म के एक संप्रदाय करमापा द्वारा की जाती है। करमापा का शाब्दिक अर्थ है ' जो बुद्ध की गति‍वि‍धि‍यों का पालन करे'। यह मठ ति‍ब्‍बती बौद्ध धर्म के प्रोत्‍साहन और उनकी संस्‍कृति‍ के संरक्षण के लि‍ए कार्य करता है।  जैसा कि‍ हर मठ खूबसूरत है यहाँ काहमें काफी पसंद आया। बाहर काफी बड़ा प्रार्थना स्‍थल दि‍खा जो बेहद शानदार था। अब हम आगे नि‍कले दूसरे मठ की ओर।




 शे पैलेस या शे मोनेस्‍ट्री लेह से लगभग 15 कि‍लोमीटर की दूरी पर है। जब हम पहुँचे तो धूप कड़क हो चुकी थी। ऊपर थोड़ी सी चढ़ाई के बाद ही हमारी साँसें फूल गई। हम ठहर-ठहरकर और पानी पीते हुए आगे गए। आगे आठ स्‍तूप बहुत खूबसूरत लग रहे थे और आँखों को भा रहा था सफेद रंग। जगह-जगह मुरादों वाला पत्‍थर रखा हुआ था। सफेद-चि‍कने पत्‍थरएक के ऊपर एक रखे हुए। घुमावदार रास्‍ते को पार करते हम मंदि‍र तक पहुँचे। पीतल की वि‍शाल बौद्ध  प्रति‍मा देखने योग्‍य है। तांबे और पीतल की प्रति‍मा के ऊपर सोने की परत चढ़ाई हुई है।  1650 के आसपास इसका नि‍र्माण हुआ था। इसे अब यह जर्जर अवस्‍था में है मगर बौद्ध मंदि‍र में जब आप प्रवेश करेंगे तो आपको बहुत शांति‍ का अनुभव होगा। भि‍त्ति-चि‍त्र भी बेहद अच्‍छे हैं। बाहर नि‍कलने से पूरा लेह नजर आता है।



हम नीचे उतरे तो बाहर एक गोलगप्‍पे वाले को देखा। मेरी नजर से पहली बार गुजरा था यह। हमारे तरफ तो खूब खाया जाता है। मन कि‍या स्‍वाद ले यहाँ। अच्‍छा लगा। उस लड़के से पूछा -कहाँ के हो जैसा कि‍ अनुमान थाजवाब मि‍ला बि‍हार के भागलपुर। हमने बताया कि‍ हम भी उधर के हैं। गोलगप्‍पे जि‍से इधर राँची में फुचका कहा जाता है,  वह लड़का हमसे खुल गया। बताने लगा कि‍ उसका एक साथी यहाँ मजदूरी करने आया। लौटकर बताया तो हम भी साथ चले आए और पानीपूरी का ठेला डाल लि‍या। उसका साथी कहीं और ठेला लगाता है।  आश्‍चर्य नहीं अगली बार कुछ बरस बाद लेह जाने का मौका मि‍ले तो हर नुक्‍कड़-चौराहे पर हमें गोलगप्‍पे खाने को मि‍ले। 

शे पैलेस के सामने सड़क पार कर एक छोटा सा ति‍ब्‍बती बाजार थाजि‍समें कुछ इमीटेशन ज्‍वेलरी मि‍ल रहे थे और घर सजाने के सामान। हमने कुछ खरीदा और नि‍कल पड़े ;क्‍योंकि‍ बस आज का दि‍न था हमारे पास। पंगोग और नुब्रा जाते-आते हम स्तोक महल जो लेह से 17 किमी दूर स्थित हैबाहर से ही देख लि‍ए थे। स्तोक महल में शाही परिवार के लोग रहते हैं। यहाँ के संग्रहालय में लद्दाखी चित्रपुराने सिक्के ,शाही मुकुटशाही परिधान एवं अन्य शाही वस्तुए संगृहीत है।



गोस्‍पा तेस्‍मो भी लेह महल के पास ही बनाया गोस्पा अर्थात बौद्ध मठ एक शाही मठ है. महात्मा बुद्ध की प्रतिमा से सुसज्जित यह मठ पर्यटकों को दूर से ही आकर्षित करता है। हमने भी दूर से ही प्रणाम कि‍या। और भी कई मठ दि‍खेजो बेहद आकर्षक लगेमगर समय का अभाव था। रास्‍ते में पड़ने वाले खूबसूरत चेमरे मोनेस्‍ट्री chemery monastery की तस्‍वीरें भी सहेज ली थी। 



क्रमश:- 15 

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