Saturday, March 26, 2016

फगुआ के दोहे.....


1.फूल गुलाबी नैन को
कर गई फगुआ मास।
तन में चटख चटख खि‍ले
कुछ महुआ और पलाश।।

2. लाल-बैंगनी, नारंगी
रंग डार गयो भरतार।
सि‍मटी गोरी यूं खड़ी
ज्‍यूं फूल झरे कचनार ।।

3. सजना भांग खि‍ला दि‍ए
गुझि‍या से भरमाए।
गोरी ता ता थैया करे
सुध बुध सब बि‍सराए। 

4. रंग रंगीला कर दीना
गोरी का सब गात।
भीगी गोरी सि‍हर खड़ी
ज्‍यूं बन में पारि‍जात ।।




5. सजन चंग पै गा रहे
सजनी पास बुलाय।
चतुर शि‍कारी जाल बि‍छा
ज्‍यूं मृगी कोई फंसाय।।

6. मकरंदी सुवास में
केसर धुल गई आज।
सजनी सजन से कहे
तज दें अब सब लाज।।

7. सजनी नील नदी हुई
साजन भए समुद्र। 
भागीरथी समा लि‍ए
वेणी में ज्‍यूं रूद्र ।। 

8. भंगि‍या छानी साजना
दूर खड़ा पछताय ।
गोरी भागे छत में
वा से चला न जाय।।


9. सजना भांग खिला दिए 
गुंजिया से भरमाए ।
गोरी ता ता थैया करे 
सुध बुध सब बिसराए ।।

10. हुड़दंगी के गोल की
अब साजन लि‍ए कमान।
शि‍वजी की बारात चली
ज्‍यूं मां गौरा के थान।।

11. सब धुआं-धुआं अबीर से
लथपथ खेलत जाय।
सि‍ंहहस्‍थ कुंभ की
रंगीली धून रमाय ।।



12. बरजोरी नहीं करो
हम बरसाने की नार।
एक लट्ठ ते फोड़ दें
तोरे मुंड कपार।।

13. फाग-बाण से पस्‍त कर
गोरी लाख शूरवीर।
अधर पाटल कमान है
दंतावली तूणीर ।।

14. फगुआए मदमास में
यह रंगों भरी फुहार।
तन को चंदन कर गई
सि‍हरन भरी बयार।। 

15. फूल गुलाबी नैन को
कर गई फगुआ मास।
तन में चटख च्‍टख खि‍ले
कुछ महुआ और पलाश।।



16. होली के इस हवन में
अछूता बचा न कोय।
बानर बन के घूम रहे
अभि‍रुप नि‍मोय ।।

17. लाज वि‍लोपि‍त नयन में
भर-भर चली खुमार 
होरी में हुरि‍याऐ रहीं
सब श्‍यामल गोरी नार।। 

3 comments:

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर बिखरे हैं फगुवा के रंग ..
होली की शुभकामनाएं!

रश्मि शर्मा said...

Dhnyawad kavita ji

Vivek Rai said...

Bahut badhiya