Wednesday, March 30, 2016

मन तो मतंग है...



प्रवाह...
जल में दीप का,
मन में मीत का
एक मोहता है
दूसरा
हर गति‍ रोकता है
प्रवाह...
हवा तय करती है दि‍शा
मन तो पतंग है
बस मतंग है....

2 comments:

Madhulika Patel said...

बहुत सुंदर .हाँ मन हमेशा गतिशील रहता है .

Madhulika Patel said...

बहुत सुंदर .हाँ मन हमेशा गतिशील रहता है .