रूप-अरूप
रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Saturday, February 20, 2016
कत्थई है आंखे तुम्हारी.....
झांककर आंखों में
जरा सा झुक
कानों में उसने कहा
मैं न कहता था
कत्थई है आंखे तुम्हारी
बबूल से झांकती
चटख धूप भी शरमा सी गई......
2 comments:
Onkar
said...
बहुत खूब
Sunday, February 21, 2016 5:02:00 PM
Kiran Nigudkar
said...
waah
Monday, February 22, 2016 2:43:00 PM
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2 comments:
बहुत खूब
waah
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