Monday, June 1, 2015

एक रंग भी मेरे पास नहीं....


नहीं याद
कब से खड़े हैं
हम साथ-साथ 
बादल के टुकड़े ने
गुलाबी चुनर ओढ़ाया
हम दोनों को
पर तू लदा है फूलों से,
मैं दि‍खता हूं भरा शूलों से
ये कुदरत का इंसाफ नहीं
एक रंग भी मेरे पास नहीं


तस्‍वीर ली थी पि‍छले दि‍नों...उन्‍हीं पर लि‍खे कुछ शब्‍द हैें

3 comments:

Unknown said...

वाह अच्छा लिखा

Mithilesh dubey said...

बहुत खूब। फोटो का तो जवाब ही नहीं

http://chlachitra.blogspot.com
http://cricketluverr.blogpost.com

पर भी पधारें।

सुशील कुमार जोशी said...

सुंदर !