एक रंग भी मेरे पास नहीं....
नहीं याद
कब से खड़े हैं
हम साथ-साथ
बादल के टुकड़े ने
गुलाबी चुनर ओढ़ाया
हम दोनों को
पर तू लदा है फूलों से,
मैं दिखता हूं भरा शूलों से
ये कुदरत का इंसाफ नहीं
एक रंग भी मेरे पास नहीं
तस्वीर ली थी पिछले दिनों...उन्हीं पर लिखे कुछ शब्द हैें
3 comments:
वाह अच्छा लिखा
बहुत खूब। फोटो का तो जवाब ही नहीं
http://chlachitra.blogspot.com
http://cricketluverr.blogpost.com
पर भी पधारें।
सुंदर !
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