Friday, February 20, 2015

शाम का सांवला अक्‍स


काश...तुम न होते
तो ये बातें भी न होती
गुजरते शाम का
सांवला अक्‍स
मेरे चेहरे पर न पड़ता

टूटता जब कोई तारा
तो जि‍गर 
चाक नहीं कर जाता
तुम न होते
तो आज ये
वजूद बि‍खरा न होता 


तस्‍वीर...गांव के एक शाम की 


4 comments:

Arun sathi said...

khub.. bahut khub

Dr.NISHA MAHARANA said...

..no words to say ...

निवेदिता श्रीवास्तव said...

सब कुछ इस एक "काश" में ही सिमट जाता है ...

दिगम्बर नासवा said...

बहुतखूब ... शब्द शब्द बोलते चित्र की तरह ...