1.
मन कपूर भी होता है क्या
बाहर से दिखती है
साबुत पुड़िया
और अंदर सब हवा-हवा
क्यों खो देता है
प्रेम अपना वजूद।
2.
मन रंगीन कपड़ा है क्या
तहाकर रखा हो
अलमारी के सबसे
नीचे वाले खाने में
और एक दिन निकालो
तो रंग सारे उड़े-उड़े
प्रेम कच्चे रंग से
रंगा था क्या रंगरेजा।
3.
मन पुराना अलबम सा है क्या
सहेजकर रखी हो जिसमें
जिंदगी की
सबसे सुंदर यादें
कुछ बरस बाद सारी तस्वीरें
धुंधली पड़ जाए
प्रेम पर वक्त की गर्द
इतनी जल्दी क्यों जमती है।
तस्वीर....नदी के सेवार में उलझा एक दिया...
मन कपूर भी होता है क्या
बाहर से दिखती है
साबुत पुड़िया
और अंदर सब हवा-हवा
क्यों खो देता है
प्रेम अपना वजूद।
2.
मन रंगीन कपड़ा है क्या
तहाकर रखा हो
अलमारी के सबसे
नीचे वाले खाने में
और एक दिन निकालो
तो रंग सारे उड़े-उड़े
प्रेम कच्चे रंग से
रंगा था क्या रंगरेजा।
3.
मन पुराना अलबम सा है क्या
सहेजकर रखी हो जिसमें
जिंदगी की
सबसे सुंदर यादें
कुछ बरस बाद सारी तस्वीरें
धुंधली पड़ जाए
प्रेम पर वक्त की गर्द
इतनी जल्दी क्यों जमती है।
तस्वीर....नदी के सेवार में उलझा एक दिया...
9 comments:
कोई नहीं जान पाया मन क्या है -एक पहेली वह भी निरंतर रूप बदलती हुई ,कभी थिर नहीं होता मन !
संवेदनायें वक्त की चसल के अनुरूप खुद को ढाल लेती हैं1
ताक पर रख दर्द आँसू पी लिये
ज़िन्दगी का हाथ थामा जी लिये
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के लिए चुरा ली गई है- चर्चा मंच पर ।। आइये हमें खरी खोटी सुनाइए --
जैसा समझो वैसा मन , मन, मन, मन बस मन ही मन
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बढ़िया
सुंदर,मन की खोज
सुंदर---मन की खोज
मन.. :)
बहुत बहुत सुन्दर !!
बहुत सुन्दर रचनाएँ, बधाई.
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