धोरों खिला कास – फूल”- (भाग –VI)
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ख्वाब पलने लगे आंखों में.....बरबस गुनगुना उठे लब....तुम्हारा इसरार करना बार-बार याद आता रहा। तुम्हारा मेरे साथ रहने की जो उदृदाम सी चाह है....वो कभी तो अभिभूत करती है...कभी डराती भी है......
कहते हो तुम....कैसे भी रहो...बस मेरे साथ रहो......ये वादा दे दो....कभी मुझ तन्हा छोड़ कर नहीं जाओगे.....अब इसके आगे मर्जी तुम्हारी.... सोचना नहीं कुछ...सब अस्त-व्यस्त हो जाने दो...अनुशासित जीवन में एकरसता होती है.....तुम हवाओं के संग उड़ो.....बारिश की बूंदों संग बहो......
देखो...जिंदगी कितनी हसीन है.....बस ये ख़्याल रखना...मैं संग-संग हूं......भूलना नहीं मुझे कभी..
मुझे चाहिए तेरा पल-पल...टुकड़ों में नहीं भरता मन...
वाकर्इ......बड़े अद़्भुत इंसान हो तुम....मैं हंसती हूं कहते हुए......तुमसा नहीं देखा........झट कहते हो तुम.....देखोगे भी नहीं कोई मुझ सा और.....
मेरी आंखों में सवाल देख..जोर का ठहाका लगया तुमने........कहा.....तुम्हें पता नहीं...मैं सच में पागल हूं......
मैं मन ही मन सोचने लगी...कहीं सच तो नहीं कह रहा....कोई नार्मल इंसान ऐसा नहीं कहता....न करता....मगर मुझे वाकई खुशी हो रही है......तुम्हारे होने से....पर मैं ये बात कहूंगी नहीं......पता नहीं....कब तलक...
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8 comments:
आपकी लिखी रचना मंगलवार 22 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सही कहा लेकिन ज़िंदगी की इसी खूबसूरती को कुछ ही लोग देख पाते हैं...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-04-2014) को "गल्तियों से आपके पाठक रूठ जायेंगे" (चर्चा मंच-1589) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मुझे चाहिये तेर पल पल टुकडों में मन नही भरता। वाह।
न-न करते हुए भी बहुत अच्छी तरह कह दिया आपने - वाह !
जिंदगी बस शब्दो मे हसीन है ...... !!
सुन्दर साथ हो तो ज़िन्दगी बहुत हसीन हो जातीं है,
सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति !!!
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