कोई सफ़ा भी नहीं
पलट कर देखता है
एक बार, मगर
रखता है कमरे में
करीने से सजा कर हमें
इंतजार में उनके
गर्द का पैरहन पहन
इन दिनों हम भी हो गए हैं
एक कीमती किताब से......
ये तो हो गई कुछ अलग सी बात मगर.....आज 'विश्व पुस्तक' एवं 'कॉपीराइट' दिवस है.....पुस्तकों से प्रेम करिए.....उन्हें संभाल कर रखिए...पढ़िए और उपहार स्वरूप अपनों को दीजिए......ये सत्य है कि पुस्तकों से अच्छा कोई दोस्त कोई नहीं होता।
यूनेस्को ने विश्व पुस्तक तथा स्वामित्व (कॉपीराइट) दिवस का औपचारिक शुभारंभ 23 अप्रैल 1995 को किया था। इसकी नींव 1923 में स्पेन में पुस्तक विक्रेताओं द्वारा प्रसिद्ध लेखक मीगुयेल डी सरवेन्टीस को सम्मानित करने के लिए आयोजन के समय ही रख दी गई थी। उनका देहांत भी 23 अप्रैल को ही हुआ था।
इसके अलावा 23 अप्रैल को सरवेन्टीस, शेक्सपीयर तथा गारसिलआसो डी लाव्हेगा, मारिसे ड्रयन, के. लक्तनेस, ब्लेडीमीर नोबोकोव्ह, जोसेफ प्ला तथा मैन्युएल सेजीया के जन्म/ निधन के दिन के रूप में जाना जाता है। विलियम शेक्सपीयर के तो जन्म तथा निधन की तिथि भी 23 अप्रैल थी। अतः विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस का आयोजन 23 अप्रैल को निश्चित विचारधारा के अंतर्गत किया गया था।
तो हम सब आज के दिन पुस्तक-प्रेम को और बढ़ाने का संकल्प लें....अच्छा साहित्य पढ़ें और अगली पीढ़ी को पुस्तक पढ़ने की अच्छी आदत सिखाएं।
सभी ब्लॉगर मित्रों को 'विश्व पुस्तक दिवस' की खूब सारी बधाई......
तस्वीर.....मेरी अब तक प्रकाशित तीन साझा काव्य-संग्रह
2 comments:
शुभकामनाएँ
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