चाहा था मैंने
तुम्हारी आंखों से
हटाकर
नफरत की चिंगारियां
बेशुमार प्यार भर दूं
तुमने चाहा
छीनकर
मेरी आंखों का सूनापन
दुनियां के
तमाम रंग भर दो
हमदोनों ही
कामयाब हुए
अपने-अपने इरादों में
अब
रहते हो तुम
मेरी आंखों में
इंद्रधनुषी सपने से
और मैं
बस गई हूं तुम्हारी आंखों में
प्यार ही प्यार बनकर
तस्वीर....खूबसूरत बोगनवेलिया की....बहुत भा गई कैमरे को..
6 comments:
बहुत उम्दा प्रस्तुति ...!
RECENT POST - आज चली कुछ ऐसी बातें.
बहुत उम्दा प्रस्तुति ...!
RECENT POST - आज चली कुछ ऐसी बातें.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17-04-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
आभार
खूबसूरत प्रस्तुति...
बढ़िया व सुन्दर रचना , आ. रश्मि जी धन्यवाद !
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~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
प्यार ही प्यार भर देने की आवश्यकता है सब के दिलों में। सुंदर प्रस्तुति।
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