Monday, April 14, 2014

चैत के तीन दोहे.....सतुआन के संग



पीत पुहुप कनेर के फले ऐ सखी इस मधुमास ! धवल भाल पर कर रही अब ‘रश्मि’ मधुहास !१! ‘बिरह-जोगिया’ छंद में मन रचे गीत मल्हार ! कच्ची अम्बियाँ संग अब सतवन के अभिसार !२! दहक भरी तस्वीरों में भी ऋतू “बसंत –बहार”! बागेश्वरी करने लगीं मेरी कविता का श्रृंगार !३!






सतुआन और बैशाखी की बधाईयां.

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6 comments:

dr.mahendrag said...

सुन्दर प्रस्तुति रश्मिजी

shalini rastogi said...

तीनो ही दोहे बहुत सुन्दर हैं ... हार्दिक बधाई !

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर बासंती रंग में रंगे दोहे

मुकेश कुमार सिन्हा said...

कच्ची अम्बियाँ संग अब सतवन के अभिसार

सुंदर !!

virendra sharma said...

पीत पुहुप कनेर के फले ऐ सखी इस मधुमास !
धवल भाल पर कर रही अब ‘रश्मि’ मधुहास !१!

‘बिरह-जोगिया’ छंद में मन रचे गीत मल्हार !
कच्ची अम्बियाँ संग अब सतवन के अभिसार !२!

लोकभाषा की आंचलिक मिठास और स्वाद बेहतरीन दोहावली

विभा रानी श्रीवास्तव said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 14 अप्रैल 2018 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!