पीत पुहुप कनेर के फले ऐ सखी इस मधुमास !
धवल भाल पर कर रही अब ‘रश्मि’ मधुहास !१!
‘बिरह-जोगिया’ छंद में मन रचे गीत मल्हार !
कच्ची अम्बियाँ संग अब सतवन के अभिसार !२!
दहक भरी तस्वीरों में भी ऋतू “बसंत –बहार”!
बागेश्वरी करने लगीं मेरी कविता का श्रृंगार !३!
सतुआन और बैशाखी की बधाईयां.
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6 comments:
सुन्दर प्रस्तुति रश्मिजी
तीनो ही दोहे बहुत सुन्दर हैं ... हार्दिक बधाई !
बहुत सुन्दर बासंती रंग में रंगे दोहे
कच्ची अम्बियाँ संग अब सतवन के अभिसार
सुंदर !!
पीत पुहुप कनेर के फले ऐ सखी इस मधुमास !
धवल भाल पर कर रही अब ‘रश्मि’ मधुहास !१!
‘बिरह-जोगिया’ छंद में मन रचे गीत मल्हार !
कच्ची अम्बियाँ संग अब सतवन के अभिसार !२!
लोकभाषा की आंचलिक मिठास और स्वाद बेहतरीन दोहावली
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 14 अप्रैल 2018 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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