प्यार ने सिखाया मुझको
बोलना
भर आई आंखों से आंसुओं को
ढलकाना
और उसके बाद खुश होकर
नाचना
सुबह की आंख से गिरा
शबनम
प्यार का मोती बन जगमगा
उठा
ये पुनर्जन्म है
तुमसे मिलना
जबकि
पहले भी स्लेटी आसमान
और
कलकल झरने खींचते थे
मुझे
मगर जीवन वसंत में
इतने फूल नहीं खिलते थे
अब जिंदगी के
होठों पर
एक खूबसूरत धुन है
और
रात के सन्नाटों में
एकांत का संगीत है
आम्रमंजरी जिसकी सुगंध फैली है चहुंओर और इसे कैद किया मेरे कैमरे ने...
4 comments:
बढ़िया प्रस्तुति-
आभार आपका-
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
अति सुन्दर.
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