मैं
मंत्रमुग्ध नहीं
मंत्रबिद्ध हो जाती हूं
जब
ओम की तरह
गूंजती है कानों में
तुम्हारी ध्वनि
मैं
ध्यान में होती हूं
हो रहा होता है
खुद से साक्षात्कार
जब एक गहरी आवाज
खींच ले जाती है
मुझे अनंत में.....
हां....
लीन होना
ऐसा ही होता है
चाहे ईश्वर में हो
या किसी इंसान में
प्रेम....ऐसा ही होता है......
तस्वीर..साभार गूगल
7 comments:
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीया-
बहुत सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई ---
बहुत सुंदर !
बहुत खूबसूरत
सुन्दर प्रस्तुति !
नई पोस्ट आम आदमी !
नई पोस्ट लघु कथा
मैं
ध्यान में होती हूं
हो रहा होता है
खुद से साक्षात्कार
जब एक गहरी आवाज
खींच ले जाती है
मुझे अनंत में.....
बेहतर भावाभिव्यक्ति .....!!!
उम्दा रचना, बहुत खूब लिखा है .
http://himkarshyam.blogspot.in/
Post a Comment