Saturday, December 7, 2013

का़यनात की खूबसूरती ..


पि‍छले दि‍नों
मैंने जमा कि‍ए थे
अपने हाथों में
ढेर सारे जुगनू

धनक के सारे रंग
खूबसूरत फूलों पर
मंडराने वाली
रंग-बि‍रंगी ति‍तलि‍यां
बस एक तेरी खा़ति‍र

अब जब तू ही नहीं
मैं खोल देती हूं हथेली
उड़ा देती हूं सारे रंग

यूं भी
हथेलि‍यों में
कैद नहीं करनी चाहि‍ए
का़यनात की खूबसूरती ...


तस्‍वीर--साभार गूगल 

7 comments:

Onkar said...

बहुत सुन्दर

nayee dunia said...

bahut sundar jugnu ki tarah chmkti rachna

विभूति" said...

भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...

रविकर said...

बढ़िया है आदरेया-
आभार -

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

वसुन्धरा पाण्डेय said...

का़यनात की खूबसूरती ..जैसे पोस्ट

dr.mahendrag said...

इंसान कि जमा व अधित्पत्य करने की आदत पर सुन्दर अभिव्यक्ति.कायनात ने खूबसूरती देखने व आनंद लेने को बनाई है.कुछ लोगों के कैद करने को नहीं.
बहुत सुन्दर