इस कदर भी ना चाहो तुम, कि हमें खुद पे गुमां हो जाएं ।
खुशियां भरते रहो मेरे दामन में, हम कद से आस्मां हो जाएं ।।
फूल नहीं, कांटे भी मेरी राहों के तुम पलकों से उठाते हो ।...
खुशियां भरते रहो मेरे दामन में, हम कद से आस्मां हो जाएं ।।
फूल नहीं, कांटे भी मेरी राहों के तुम पलकों से उठाते हो ।...
महफ़ूज हर शै पा हम, कहीं तुमसे ही न बदगुमां हो जाएं ।।
अलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ।।
ज़माने की साजिशों से घबरा, जब हो बेबस तुम्हें पुकारने लगे 'रश्मि'।
सुनकर सदा चले आना, ऐसा न हो इंतजार में ही हम फनां हो जाएं।।
अलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ।।
ज़माने की साजिशों से घबरा, जब हो बेबस तुम्हें पुकारने लगे 'रश्मि'।
सुनकर सदा चले आना, ऐसा न हो इंतजार में ही हम फनां हो जाएं।।
तस्वीर--सूर्य मंदिर के पीछे मेरे हाथों में सफेद फूल...
24 comments:
बहुत सुंदर
अलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ।।
वाह, लाजवाब रचना.
रामराम.
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-07-2013) को में” उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! चर्चा मंच पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
वाह जी
बल्ले बल्ले
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ
बहुत अच्छे भावों से लिखी गयी रचना
ज़माने की साजिशों से घबरा, जब हो बेबस तुम्हें पुकारने लगे 'रश्मि'।
सुनकर सदा चले आना, ऐसा न हो इंतजार में ही हम फनां हो जाएं।।
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post सुख -दुःख
बहुत ही सुन्दर रचना...
:-)
बहुत उम्दा,सुंदर सृजन,,,वाह !!! क्या बात है
RECENT POST : अभी भी आशा है,
बहुत खूब वाह !
BEHATARIN
बहुत सुंदर, शुभकामनाये
यहाँ भी पधारे
दिल चाहता है
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_971.html
हमे भी आपकी आदत पड़ती जा रही है ...बहुत सुन्दर...!!
waah bahut khub
मोहब्बत में ऐसा गुमां भी एक अजीब सुख देता है ।
माशा अल्लाह बहुत अच्छा लिखा है मर्बेह्वा .
अलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ...
बहुत ही लाजवाब शेर है ... एहसास को छूता है ...
बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
बहुत सुंदर, शुभकामनाये
यहाँ भी पधारे
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
फूल नहीं, कांटे भी मेरी राहों के तुम पलकों से उठाते हो ।...
महफ़ूज हर शै पा हम, कहीं तुमसे ही न बदगुमां हो जाएं ।।
...बहुत खूबसूरत प्रस्तुति....
बहुत खूब |
बहुत सुन्दर रचना
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
बहुत अच्छी रचना, बहुत सुंदर
bahut khoob :)
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