प्रारब्ध थे तुम
आना ही था एक दिन
जीवन में
सारी दुनिया से अलग होकर
मेरे हो जाना
और मुझको अपना लेना.....
प्यार यूं आया
जैसे बरसों तक हरियाए दिखते
बांस के पौधों पर
फूल खिल आए अनगिनत
सफ़ेद-शफ़फ़ाक
अब इनकी नियति है
समाप्त हो जाना.....
मृत्यु का करता है वरण
बांस पर खिलता फूल
ठीक वैसे ही फूल हो तुम
मेरी जिंदगी के
और मैं बरसों से खड़ी
हरियाई बांस
तुम्हारा मिलना ही
अंतिम गति है मेरी......
तस्वीर-साभार गूगल
12 comments:
हरियाई बांस
तुम्हारा मिलना ही
अंतिम गति है मेरी......
वाह रश्मि जी .. बहुत खूब लिखा है आपने
bahut sundar ...
bahut sundar ..
बहुत खूब लिखा है आपने
ati sundar ....
आपकी यह रचना कल दिनांक 27.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.com पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
आपकी यह रचना कल दिनांक 28.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.com पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
बहुत सुंदर रचना!!
बहुत सुंदर रचना!!
बहुत सुंदर रचना!!
बहुत सुंदर रचना!!
सुंदर एवम् भावपूर्ण रचना...
मैं ऐसा गीत बनाना चाहता हूं...
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