चूमकर पेशानी
सारा ग़म पीने वाले
छीनकर सारी उदासी
लबों को हंसी देने वाले
तेरा शुक्रिया......
कि रहम है मौला का
तमाम दुश्वारियों के बावजू़द
एक अदद कांधा तो बख्शा
जहां सर रखकर
ग़ुबार दिल का निकाल सकें
मायुसियों की गर्द झाड़
सुकूं पा सके
सीने में उसके सर रखकर
रूठी नींद को मना सकें
कि बेरहम दुनिया में
एक नाम तो ऐसा है
जो जैसा भी है
हर हाल में मेरा है
तेरा शुक्रिया......
तस्वीर--साभार गूगल
14 comments:
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 23/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
बेहद सुन्दर रचना | बधाई
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बेहद सुन्दर रचना | बधाई
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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कि बेरहम दुनिया में
एक नाम तो ऐसा है
जो जैसा भी है
हर हाल में मेरा है.
.......पर फिर भी तेरा शुक्रिया है.सीमा भी होती होगी सहनशीलता की.
उम्दा प्रस्तुति
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
उम्दा प्रस्तुति ,बेहतरीन रचना ,चूमकर पेशानी
सारा ग़म पीने वाले
छीनकर सारी उदासी
लबों को हंसी देने वाले
khoob soorat rachana ke liye sadar badhai
सदा बनी रहे यह आश्वस्ति!
बहुत भावपूर्ण रचना |होली पर अग्रिम बधाई |
आशा
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
बहुत सुंदर
गुज़ारिश : ''..इन्कलाब जिन्दाबाद ..''
बहुत सुन्दर ...
पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
बहुत खूब
सुन्दर रचना. ऐसा एक भी बहुत है जिस पर भरोसा किया जा सके .
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