बोझल हुई जाती आंखों में
आते हैं नींद के झोंके
कच्ची सी निंदिया के बीच
घेर लेता है एक सपना
सपने में होता है वो ही चेहरा
जिसकी याद भुलाने के लिए
खुद से किए थे वादे
और कई मजबूत इरादे
हंसता हुआ वो कहता है
नहीं सूखता कभी
बीज प्रेम का
बस तनिक मुरझाता है
शब्दों के जहर से
जरा सूख सा जाता है
सींचो चुल्लू भर प्रेम जल से
तुरंत दम हरा हो जाता है
आखिर होता क्या है प्रेम..
जो पास होता है, वो दूर होता है
और छोड़ कर जाने वाला ही
क्यों इतना दिल के करीब होता है....
तस्वीर--साभार गूगल
आते हैं नींद के झोंके
कच्ची सी निंदिया के बीच
घेर लेता है एक सपना
सपने में होता है वो ही चेहरा
जिसकी याद भुलाने के लिए
खुद से किए थे वादे
और कई मजबूत इरादे
हंसता हुआ वो कहता है
नहीं सूखता कभी
बीज प्रेम का
बस तनिक मुरझाता है
शब्दों के जहर से
जरा सूख सा जाता है
सींचो चुल्लू भर प्रेम जल से
तुरंत दम हरा हो जाता है
आखिर होता क्या है प्रेम..
जो पास होता है, वो दूर होता है
और छोड़ कर जाने वाला ही
क्यों इतना दिल के करीब होता है....
तस्वीर--साभार गूगल
7 comments:
प्यार कि सटीक परिभाषा आज तक कोई नहीं दे पाया है !!
सुन्दर प्रस्तुति !!
बहुत खूब , सुन्दर अभिव्यक्ति , सटीक परिभाषा
हंसता हुआ वो कहता है
नहीं सूखता कभी
बीज प्रेम का
बस तनिक मुरझाता है----
bahut sunder----pyar ka apna alag sansar hai
vakayee me ak bacche ki tarah shaitani karta hai aur kabhi vykt to to kabhi avykt,kabhi murt to kabhi amurt,mar hi nahi sakta ,or yadi par gya to vo chalava hi raha hoga,pyar nahi
प्रेम का यही उसूल है , और ऐसा ही होता है.
अच्छी अभिवयक्ति
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.
सपने में होता है वो ही चेहरा
जिसकी याद भुलाने के लिए
खुद से किए थे वादे
और कई मजबूत इरादे...बहुत सुंदर भावनायें
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