वक्त के चरखे पर
उदासी का गीत है
मोहब्बत की चादर बुनने को
कात रही हूं सपने
यकीनन
कुछ सपने पूरे भी होते हैं...
* * * * * * * * *
ये उदासी है
तड़ीपार दिया है जिसे मैंने
मगर
किसी घुसपैठिए सी है
आदत इसकी
भावनाएं जहां
तनिक कमजोर पड़ी
चट आ जाती है वापस
जैसे
ताक में हो इसी की
ऐ मोहब्बत, बता ज़रा
कहीं तुम्हारा ही तो
दूसरा नाम नहीं
' उदासी '
उदासी का गीत है
मोहब्बत की चादर बुनने को
कात रही हूं सपने
यकीनन
कुछ सपने पूरे भी होते हैं...
* * * * * * * * *
ये उदासी है
तड़ीपार दिया है जिसे मैंने
मगर
किसी घुसपैठिए सी है
आदत इसकी
भावनाएं जहां
तनिक कमजोर पड़ी
चट आ जाती है वापस
जैसे
ताक में हो इसी की
ऐ मोहब्बत, बता ज़रा
कहीं तुम्हारा ही तो
दूसरा नाम नहीं
' उदासी '
9 comments:
प्रेम में कभी कभी उदासी का भी आलम होता है ....
सुन्दर ....
prem ke vividh rango me ak udasi bhi hai,sundar bhav
prem ke vividh rango me ak udasi bhi hai,sundar bhav
सुन्दर रचना
यकीनन
कुछ सपने पूरे भी होते हैं...
यही उम्मीदें जीने की राह दिखाती हैं. सुंदर लेखन.
मुहब्बत ओर उदासी साथ साथ आते हैं .. पर यकीनन मुहब्बत का नाम उदासी नहीं ...
khoobshruti se bhara dard ****udasi bhare din kabhi to hatenge,
कभी खुशी कभी उदासी प्यार मोहब्बत में तो ऐसा होता ही है,सुन्दर रचना.
महोब्बत में खुशियाँ भी हैं ,और उदासी भी.एक ही नाम कैसे देंगे उदासी का इसको.
अच्छा भावप्रद गीत
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