Saturday, March 16, 2013

उदासी के दो गीत

वक्‍त के चरखे पर 
उदासी का गीत है
मोहब्‍बत की चादर बुनने को
कात रही हूं सपने

यकीनन
कुछ सपने पूरे भी होते हैं...

* * * * * * * * * 


ये उदासी है

तड़ीपार दि‍या है जि‍से मैंने
मगर
कि‍सी घुसपैठि‍ए सी है
आदत इसकी
भावनाएं जहां
तनि‍क कमजोर पड़ी 
चट आ जाती है वापस
जैसे
ताक में हो इसी की

ऐ मोहब्‍बत, बता ज़रा
कहीं तुम्‍हारा ही तो
दूसरा नाम नहीं
' उदासी '

9 comments:

शिवनाथ कुमार said...

प्रेम में कभी कभी उदासी का भी आलम होता है ....
सुन्दर ....

अज़ीज़ जौनपुरी said...

prem ke vividh rango me ak udasi bhi hai,sundar bhav

अज़ीज़ जौनपुरी said...

prem ke vividh rango me ak udasi bhi hai,sundar bhav

Onkar said...

सुन्दर रचना

रचना दीक्षित said...

यकीनन
कुछ सपने पूरे भी होते हैं...

यही उम्मीदें जीने की राह दिखाती हैं. सुंदर लेखन.

दिगम्बर नासवा said...

मुहब्बत ओर उदासी साथ साथ आते हैं .. पर यकीनन मुहब्बत का नाम उदासी नहीं ...

अज़ीज़ जौनपुरी said...

khoobshruti se bhara dard ****udasi bhare din kabhi to hatenge,

Rajendra kumar said...

कभी खुशी कभी उदासी प्यार मोहब्बत में तो ऐसा होता ही है,सुन्दर रचना.

dr.mahendrag said...

महोब्बत में खुशियाँ भी हैं ,और उदासी भी.एक ही नाम कैसे देंगे उदासी का इसको.
अच्छा भावप्रद गीत