हम-तुम यूं हो
न हो सकेगा ऐसा कभी
जो मिल जाए
एक पल भी
जिंदगी में
क़ायनात ठुकरा दूं उस पल की ख़ातिर
जानां,
सब मेरे अख्तियार में है
बस एक तुम ही नहीं.......
* * * * * * *
बस..
सुनकर, इक तेरा नाम
कोई गुदगुदा जाता है मुझे
मुस्कान की एक लहर
होंठों पे तैर जाती है बरबस
जानां
तेरा होना कितना जरूरी है
ये मेरी मुस्कराहट से पूछो न.....
तस्वीर--मेरे बगिये के फूल गुलदान में और नजर कैमरे की
7 comments:
बहुत ही सुन्दर...
सुन्दर !!
क़ायनात ठुकरा दूं उस पल की ख़ातिर
जानां,
सब मेरे अख्तियार में है
बस एक तुम ही नहीं.......
खूबसूरत रचना
waah...sunder
बहुत सुन्दर कोमल अहसास...
Aapke shabdo me kuch alag hee
जानां
तेरा होना कितना जरूरी है
ये मेरी मुस्कराहट से पूछो न.....
Post a Comment