Wednesday, February 27, 2013

आवाज का लि‍बास....



एक सलाम
तेरे नाम....

कि तेरी आवाज का लि‍बास
बड़ा खूबसूरत है
पहना ये पैरहन
उस दि‍न से
जब कहा तुमने
नहीं भूलता कुछ
और
तब से चुप रहने की
आदत हो गई
मैं सदि‍यों तक
चुप रह सकती हूं
कि तुम बोल रहे हो
अब मैं
शब्‍द पहनती हूं
पीती हूं
और इन्‍हीं के आसरे
जीती हूं.......

तस्‍वीर-- मेरे कैमरे में कैद चांदनी रात में समुद्र की लहरें

13 comments:

Pratibha Verma said...

बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...

आप भी पधारें
ये रिश्ते ...

अरुन अनन्त said...

वाह सुन्दर चित्र के साथ साथ शानदार प्रस्तुति

travel ufo said...

सुंदर पंक्तिया

विभूति" said...

.बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति.......

Blogvarta said...

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Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

मैं चुप तुम बोलो
ह्रदय में प्रेम संजोलो

Dinesh pareek said...



बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई

मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है

खुशबू

poonam said...

wah.....adbhut

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत बढ़िया भाव पूर्ण अभिव्यक्ति !
latest post मोहन कुछ तो बोलो!
latest postक्षणिकाएँ

अज़ीज़ जौनपुरी said...

सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति

अज़ीज़ जौनपुरी said...

BEHATAREEN

प्रतिभा सक्सेना said...

शब्द ही मंत्र बन जाते हैं !

डॉ एल के शर्मा said...

कि तेरी आवाज का लि‍बास
बड़ा खूबसूरत है
पहना ये पैरहन
उस दि‍न से
जब कहा तुमने
नहीं भूलता कुछ
और
तब से चुप रहने की
आदत हो गई
मैं सदि‍यों तक
चुप रह सकती हूं
कि तुम बोल रहे हो