Wednesday, February 20, 2013

टीसता है बहुत....



थोड़ा बादल.....थोड़ा पानी, जरा सा शाम का अंधियारा,

एक धधकती चाहत
और तेरी आरजू का बवंडर साथ ले....सागर सा मौन साध चली जाती हूं दुनि‍या की नजरों से दूर.....
यादों के शमि‍याने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा

कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....

तस्‍वीर--साभार गूगल

7 comments:

संध्या शर्मा said...

यादों के शमि‍याने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा
कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....
वाह... बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ

Shalini kaushik said...

बहुत सुन्दर दामिनी गैंगरेप कांड :एक राजनीतिक साजिश ? आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

Pratibha Verma said...

सुन्दर प्रस्तुति ...

Rajendra kumar said...

बहुत ही सार्थक एवं सुन्दर प्रस्तुति.

अरुन अनन्त said...

आदरेया यह पंक्तियाँ तो ऐसा लगता है जीवित हैं, खुद ही बोल रही हैं, वाह आनंद आ गया खास कर इन पंक्तियों के लिए ज्यादा बधाई.

यादों के शमि‍याने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा
कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....

शिवनाथ कुमार said...

सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

डॉ एल के शर्मा said...

कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....