मुझको झूठी बातों से बहलाते हो क्यों
आशाओं का झूठा दीप जलाते हो क्यों।।
करो यकीं, मुझे तुमसे कोई शिकवा नहीं
फिर इनकार-ए-मोहब्बत से घबराते हो क्यों।।
मेरी न सही, किसी की मोहब्बत तो रास आई तुम्हें
फिर मेरे बिखरने पर आंसू बहाते हो क्यों......।।
10 comments:
इस तरह से मुझे बर्बाद किया है ,,,,,,, उसने,
कि गया कुछ भी नही,और रहा कुछ भी नही,,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
अच्छी रचना
बहुत सुंदर
बहुत बढ़िया ...
dilenadan ..jo thahra isiliye aanshu bhata hai ....bahut acchi prastuti ....rashmi jee...
बहुत खूब ....उम्दा :)
बहुत खूब ....उम्दा :)
बहुत खूब सुन्दर रचना
अद्भुत रचना
बहुत सुंदर अच्छी रचना
मुझको झूठी बातों से बहलाते हो क्यों
आशाओं का झूठा दीप जलाते हो क्यों।।
Recent Post"Khada Hai'
bahut umda rachana
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