चांद ने अपनी चांदनी बिखराई है
मुझको फिर आपकी याद आई है ।
इंतजार का यही सिला मिला मुझे
कि वक्त ने फिर दुश्मनी निभाई है।।
कैसे न उठेगा आपके भी दिल में दर्द
कि फिर आंख मेरी भर आई है।
चलो सुकून तो इतना है मुझको
कि आपने वफा ही निभाई है ।।
9 comments:
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 03/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
बहुत सुंदर एवं कोमल अभिव्यक्ति ....
वाह क्या बात है एक एक शब्द शानदार है बहुत खूब उम्दा रचना, बहुत-२ बधाई रश्मि जी
चलो सुकून तो इतना है मुझको
कि आपने वफा ही निभाई है,,,
वाह,,बहुत सुंदर पंक्तियाँ,,,,
RECENT POST : गीत,
बहुत बहुत सुन्दर......
आपके ब्लॉग की चर्चा कुछ दिन पूर्व दैनिकभास्कर में भी थी.
बधाई
अनु
इधर की आँख में आँसू ले आना
उधर के दिल में दर्द उठवाना
बेतार के तारों का एक ये भी
तो है सुंदर सा अफसाना !!
बहुत सुंदर प्रस्तुति |
इस समूहिक ब्लॉग में पधारें और इस से जुड़ें |
काव्य का संसार
very very nice :)
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अपनी रचनाओं का कॉपीराइट मुफ़्त पाइए
बहुत सुन्दर
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