रूप बदला..रंग बदला
शहर बदला...गली बदली
हम बदले...तुम बदले
मगर तुमसे जुड़ी यादें....
अब भी वक्त के हाथ बांध
वहीं के वहीं स्थिर-अविचल-अडोल
खड़ी की खड़ी है,
यह जगह का करिश्मा है
या यादों का जादू...
जो दिन से दशक
बनने के बाद भी
एक चलचित्र सा...
आंखों में तैर जाता है
यादों के समंदर में
गोते लगाता है....
और हम...बन जाते हैं एक दर्शक
वक्त हमारा हाथ पकड़
दिन...घड़ी..पल को पीछे छोड़ते
लौट जाता है..
कहता है....हां यही तो हुई थी
उनसे अपनी पहली मुलाकात
और यहां हुई थी..
छुपकर उनसे बात
इसी झील के किनारे
थामा था मेरा हाथ
और की थी मुझपर
चुंबनों की बरसात...
फिर....कदम दो कदम
साथ चलकर
तुम पूरब..
हम पश्चिम
न पूछो इस दरम्यां
क्या-क्या गुजर गया
एक बार फिर सामने है
वही शहर...वही गली
वही यादें...गुजरी सारी बातें
मगर
अब शहर का मौसम बदल गया है
अब है यहां की हवा अजनबी
वक्त की मार से
खंडहर बन गई यादों की इमारत
मगर अब भी यादों का मौसम
जवां है....सोलहवें साल की तरह...।
14 comments:
सब कुछ बदल जाता है पर यादें नहीं बदलती ... रुका हुवा समय हैं ये यादें ...
यादों का मौसम कभी नहीं बदलता एक ही याद में कुछ याद करते हुए हम हँसते भी है और रोते भी हैं। और यह सिलसिला ज़िंदगी कि आखरी साँस तक बस यूं ही चलता चला जाता है ....बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना...शुभकामनायें आपको समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
sadhoo sadhoo....
sundar bhaw
मगर अब भी यादों का मौसम
जवां है....सोलहवें साल की तरह...।
और फिर सोलहवें साल की यादें .. उफ़
वाह !
आपका ब्लॉग फोल्लो कर रही हूँ
कलमदान
तुम पूरब..
हम पश्चिम
न पूछो इस दरम्यां
क्या-क्या गुजर गया
एक बार फिर सामने है
वही शहर...वही गली
वही यादें...गुजरी सारी बातें...
यादे तो बस यादे होती है...
बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन
रचना,...
रश्मी जी समर्थक बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,....
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
बहुत खूबसूरत यादें
मगर अब भी यादों का मौसम
जवां है....सोलहवें साल की तरह...………यही तो यादों की शख्सियत होती है ।
yadon ka safar yun hi jari rhe .sundar post.bdhai
यादों की इमारत खंडहर भले ही हो जाए पर गिरती कभी नहीं
खंडहर ही सही पर यादें तो रहेंगी....
शुभकामनायें...
yadein hamesha jawan rahti hain...
बातें बदल जातीं हैं....यादें नहीं बदलतीं....
सुंदर.
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