Tuesday, February 21, 2012

तुम्‍हारा रूठना...

है अहसास
कि‍ तुमको भी इंतजार है
उस आवाज का जो कि‍सी के रूठने
या रूठ जाने का दि‍खावा करने पर
पीछे से देता है कोई...
तभी तो
जब कदमों की आहट होती है
कि‍सी की
तुम फौरन खोल लेते हो
अपनी खि‍ड़की का पल्‍ला
और आसमान देखने के बहाने
तकते हो रास्‍ता....
रूठने वाले
क्‍या तुम ये नहीं जानते
कि‍ कभी-कभी ऐसी आवाजें
शब्‍दहीन भी हो सकती हैं.....
बस...आंखों को इंतजार होता है
लौटती कदमों का
मौन आमंत्रण के स्‍वीकारे जाने का
इस सच से क्‍या
वाकि‍फ नहीं तुम, कि
जो औरों को सताने के लि‍ए
दूर चले जाते हैं...
उन्‍हें भी उसी दर्द से गुजरना पड़ता है
जो दर्द वो बांटते हैं.......
इसलि‍ए छोड़ दो
जि‍द अपनी .....।

11 comments:

Nirantar said...

kaun hai jise intzaar nahee hotaa kisi kaa

vandana gupta said...

छोडनी ही पडेगी जब इतनी प्यारी सी मनुहार होगी।

रश्मि प्रभा... said...

है अहसास
कि‍ तुमको भी इंतजार है
उस आवाज का जो कि‍सी के रूठने
या रूठ जाने का दि‍खावा करने पर
पीछे से देता है कोई...bahut sahi anubhuti

रश्मि प्रभा... said...

है अहसास
कि‍ तुमको भी इंतजार है
उस आवाज का जो कि‍सी के रूठने
या रूठ जाने का दि‍खावा करने पर
पीछे से देता है कोई...bahut sahi anubhuti

Sunil Kumar said...

जो औरों को सताने के लि‍ए
दूर चले जाते हैं...
उन्‍हें भी उसी दर्द से गुजरना पड़ता है
जो दर्द वो बांटते हैं.......
इसलि‍ए छोड़ दो
जि‍द अपनी .....।
बहुत सही सवाल किया हैं उत्तर भी निहित हैं

Pallavi saxena said...

सार्थक रचना... खूबसूरत अभिव्यक्ति

Anonymous said...

Zid---- waqt lagta hai . Nice

लोकेन्द्र सिंह said...

सुन्दर प्रस्तुति।

Chandu said...

अपनों का हक है जी रूठने का | किसी का रूठ जाना बस एक बहाना है किसी कवि ह्रदय के लिए| उस एह्सास को शब्दों की माला में पिरोने के लिए|...और कोई रूठ कर जायेगा कहाँ??
~~आपकी एक और खूबसूरत रचना के लिए बधाई~~

Atul Shrivastava said...

गहरी अभिव्‍यक्ति।
सुंदर रचना।

दिगम्बर नासवा said...

ये प्यार है आग्रह या मनुहार है ... बस लाजवाब है ...