मुझे तो सारे मौसम पसंद आते हैं
क्योंकि
हर मौसम का अपना अहसास
अपना अंदाज
और अपनी खासियत होती है
जैसे हर इंसान की अपनी
रवायत होती है ....
जो एक में होता है
वो दूजे में नहीं...
दूजे सा कभी
तीसरे में नहीं होता.....
इंसान,
कोई पारिजात सा होता है
कोई गुलाब सा
और कोई
मरूस्थल थार सा....
जैसे
हर इंसान एक नहीं होता
वैसे ही
सारे मौसम एक नहीं होते
पर
मैं कह सकती हूं कि
मुझे सारे मौसम पसंद आते हैं
मगर ये कैसे कह दूं
कि मुझे तो
पारिजात....गुलाब...थार
और रुद्राक्ष भी पसंद आते हैं......... ????
8 comments:
ऽ कह दिजिए, मौसम की तरह ही सब पसंद है सुन्दर अभिव्यक्ति।
एक यथार्थ, मन की बोली---
बहुत ही बढ़िया।
सादर
Excellent
सुंदर अभिव्यक्ति.....
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
बहुत उम्दा!!
बहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर रचना है....
बधाईयाँ...
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