है अहसास
कि तुमको भी इंतजार है
उस आवाज का जो किसी के रूठने
या रूठ जाने का दिखावा करने पर
पीछे से देता है कोई...
तभी तो
जब कदमों की आहट होती है
किसी की
तुम फौरन खोल लेते हो
अपनी खिड़की का पल्ला
और आसमान देखने के बहाने
तकते हो रास्ता....
रूठने वाले
क्या तुम ये नहीं जानते
कि कभी-कभी ऐसी आवाजें
शब्दहीन भी हो सकती हैं.....
बस...आंखों को इंतजार होता है
लौटती कदमों का
मौन आमंत्रण के स्वीकारे जाने का
इस सच से क्या
वाकिफ नहीं तुम, कि
जो औरों को सताने के लिए
दूर चले जाते हैं...
उन्हें भी उसी दर्द से गुजरना पड़ता है
जो दर्द वो बांटते हैं.......
इसलिए छोड़ दो
जिद अपनी .....।
11 comments:
kaun hai jise intzaar nahee hotaa kisi kaa
छोडनी ही पडेगी जब इतनी प्यारी सी मनुहार होगी।
है अहसास
कि तुमको भी इंतजार है
उस आवाज का जो किसी के रूठने
या रूठ जाने का दिखावा करने पर
पीछे से देता है कोई...bahut sahi anubhuti
है अहसास
कि तुमको भी इंतजार है
उस आवाज का जो किसी के रूठने
या रूठ जाने का दिखावा करने पर
पीछे से देता है कोई...bahut sahi anubhuti
जो औरों को सताने के लिए
दूर चले जाते हैं...
उन्हें भी उसी दर्द से गुजरना पड़ता है
जो दर्द वो बांटते हैं.......
इसलिए छोड़ दो
जिद अपनी .....।
बहुत सही सवाल किया हैं उत्तर भी निहित हैं
सार्थक रचना... खूबसूरत अभिव्यक्ति
Zid---- waqt lagta hai . Nice
सुन्दर प्रस्तुति।
अपनों का हक है जी रूठने का | किसी का रूठ जाना बस एक बहाना है किसी कवि ह्रदय के लिए| उस एह्सास को शब्दों की माला में पिरोने के लिए|...और कोई रूठ कर जायेगा कहाँ??
~~आपकी एक और खूबसूरत रचना के लिए बधाई~~
गहरी अभिव्यक्ति।
सुंदर रचना।
ये प्यार है आग्रह या मनुहार है ... बस लाजवाब है ...
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