Tuesday, January 18, 2022

सपने....


वक्‍त के चरखे पर 

उदासी का गीत है 

मुहब्‍बत की चादर बुनने को

कात रही हूं सपने....

यकीन है

कुछ सपने पूरे भी होते हैं....। 

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