रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
वक्त के चरखे पर
उदासी का गीत है
मुहब्बत की चादर बुनने को
कात रही हूं सपने....
यकीन है
कुछ सपने पूरे भी होते हैं....।
sapne good
बहुत सुंदर
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sapne good
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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