रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
सांझ का चंदोवा तना हैरक्तांबर आकाश में डूबता जा रहा सूरज ...रत्ती सी पत्ती मुस्काती हैहौले - हौलेस्मृतियों की किवाड़ खुलने को है ...
वाह!शनै:-शनै: खोलती है संध्या अब अर्गलाफिर सजेगी निशा की नई चित्रकला।
छोटी-सी पर बहुत ही प्रभावी रचना। हार्दिक शुभकामनाएं रश्मि जी 🙏🙏🌷🌷❤️❤️
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति
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वाह!
ReplyDeleteशनै:-शनै: खोलती है संध्या अब अर्गला
फिर सजेगी निशा की नई चित्रकला।
छोटी-सी पर बहुत ही प्रभावी रचना। हार्दिक शुभकामनाएं रश्मि जी 🙏🙏🌷🌷❤️❤️
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति
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