रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Friday, July 6, 2018
आषाढ़ का दिन
रात की छाती पर नहीं है चाँद काली घटाएँ घिर-घिर खोल रही स्मृति के पिंजरे मेघ देख हृदय का माटी फिर दूब सा हरा हुआ है बारिश की झड़ी पत्तों-पत्तों में छुपा संदेश मेघों से पर्वतों के लिपटने का आया दिन हाँ है ये आषाढ़ का दिन
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