Saturday, July 7, 2018

दर्द सहलाता है


झकझोरा तुमने 
लौटी हूँ मानो नींद के गाँव से 
खिंचता सन्नाटा 
जैसे बस टूटना ही चाहता हो 
अब दर्द सहलाता है 
आवाज़ की दुनियाँ में
रंगों की सतरंगी चमक बरक़रार है।

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