Tuesday, September 24, 2013

क्षणि‍काएं....

1. अब तलक
   दुनि‍या थी और थी मैं
   अब मैं हूं
   और मेरी दुनि‍या हो तुम.......


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2. ये दर्द जो तुझसे मुझे आज मि‍ला है
ये मेरे जन्‍मों के इंतजार का सि‍ला है...

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3. भर दो जागती आंखों में नींद ऐ रात की परी
कि दर्द भरी रातों की मि‍याद बस इतनी ही थी....


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4.तुम मि‍ले हो
तो ग़म भी मि‍ला है
यही तो चाहा था
अब नहीं कोई गि‍ला है...

7 comments:

पूरण खण्डेलवाल said...

सुन्दर प्रस्तुति !!

मेरा मन पंछी सा said...

बेहद खुबसूरत प्रस्तुति....
मनभावन...
:-)

संजय जोशी "सजग " said...

बहुत सुंदर .और उम्दा ....रश्मि जी

Unknown said...

खूबसूरत रचना |

स्वाति said...

क्या कहने …. सुन्दर

Aparna Bose said...

aapne bhavnaon ko kam shabdon mein behad khoobsurati se abhivyakt kiya hai Rashmi ji...

Laxman Bishnoi Lakshya said...

बहुत सुंदर रचना
जय जय जय घरवाली