कल से लगातार बारिश की झड़ी लगी है। कभी सावन के गाने याद आ रहे तो कभी बचपन की बरसात का एहसास हो रहा है। तब सावन - भादो ऐसे ही भीगा और मन खिला रहता था। मुझे बूंदों की आवाज तब भी बहुत पसंद थी और अब भी...
ऐसे में यह पुरानी तस्वीर...
मुझे याद है कि किसी बात पर गुस्सा होकर चुपचाप बैठी अपने स्कर्ट की हेमलाइन ठीक कर रही थी। मुझे मनाने के लिए चाचा जी ने कैमरा उठाकर एकदम से क्लिक कर दिया और मैं मुस्करा पड़ी थी।
2 comments:
सुंदर याद और प्यारी तस्वीर
बहुत ही प्यारी बच्ची. बचपन को कभी कभी पीछे लौटकर देख लेना चाहिए. शुभकामनायें
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