उस बारिश से इस बारिश तक
न जाने कितनी बरसातें गुजर गई
यह हमारे साझे का मौसम है
हवा, बादल, मोगरे, रातरानी
सब तो हैं,
टूटकर बरसता है आसमान भी
पर भीगता नहीं मन
हवाओं में घुली खुशबू नहीं आती इन दिनों मुझ तक
तुम थे तो कितनी सुंदर लगती थी दुनिया
बारिश बजती थी कानों में
संगीत की तरह
और पहाड़ों से बादलों को लिपटते देख
नहीं थकती थीं आंखें....
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