Saturday, August 3, 2024

बारिश की आवाजें

 


रात के अंधेरे में हो रही बारिश की आवाजें हैं!

अभी एक और आवाज की स्मृति शामिल है इसमें 
दूर फैले पहाड़ों पर होती हुई बारिश देखने 
दो और आँखें कभी शामिल थीं


पत्तों से छनकर आती बूंदों की आवाजें सुनो- 
कहा था उसी ने

जिसके होने से मौसम थे सारे
जिसने उनके भीतर जीना सिखाया,
भीगना सिखाया जिसने आवाजों के भीतर
उसी ने पूछा है आज मन के‌ मौसम का हाल ?

होती हुई बारिश के बीच, ऐसी स्मृति एक यातना है !

5 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

Onkar said...

अति सुन्दर

Onkar said...

बहुत सुन्दर रचना

शुभा said...

वाह! बहुत खूब!

रश्मि शर्मा said...

आप सभी को धन्‍यवाद