Sunday, January 2, 2022

नए साल में ....



कहूँगी वो सब
जो ज़रूरी होने के बाद भी 
चुपचाप सीने में दफन किया करती थी 


पीड़ा सहने 
और आँसुओं में डूबे रहने से 
किसी को रत्ती भर फ़र्क नहीं पड़ता है

नए साल में 
जंगल, पहाड़, समंदर और नदियों से 
थोड़ी सी और मोहब्बत करूँगी…..

2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

शुभकामनाएं नववर्ष की। सुन्दर सृजन।

अनीता सैनी said...

वाह!👌
नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर