बारिश में हमारा झारखंड इतना खूबसूरत दिखता है, कि जितनी भी तारीफ की जाए, कम ही है। इन दिनों देश-दुनिया का यह हाल है कि तीन महीने से अधिक वक्त हो गया। जो जहां है, वहीं थम सा गया है। इस कोरोना संक्रमण के दौर में घूमने जाने की बात कहने मात्र से इस कदर भयभीत निगाहों से घूरते हैं लोग, कि लगता है बाहर जाने पर बिना संक्रमित हुए कोई लौटेगा ही नहीं, और बहुत हद तक यह डर सही भी है।
मगर यायावर मन को चैन कहां। घूम ही आती हूं, जहां भी मौका लगता है। मेरे मिजाज के कुछ साथी मिल ही जाते हैं जिन्हें यायावरी पसंद हो न हो, कहीं कोई प्रतिबद्धता होती है, जिसे निभाना चाहते हैं। इस बार साईं मंदिर जाने की वजह बनी बच्चे का रिजल्ट। मैंने शर्त रखी कि तभी जाऊंगी जब घघारी धाम के प्राचीन शिवमंदिर के दर्शन को भी जाएंगे।
वैसे साईं मंदिर कई बार गई हूं। यह मंदिर रांची से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर है। रांची - गुमला मुख्य पथ पर स्थित बेड़ो प्रखंड मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर अंदर जाने पर मंदिर है, जिसमें भक्तों की भीड़ हमेशा ही लगी रहती है। अब यहां खूंंटी वाले रास्ते से भी पहुंचा जा सकता है। बढ़िया सड़क और मनोरम दृश्य ...बस देखते ही जाइए। बेड़ो से होकर जाने पर पहले प्राचीन शिव मंदिर मिलता है, सड़क पर ही दाहिनी ओर द्वार बना हुआ है। करीब दो किलोमीटर अंदर जाने पर मंदिर है। दाहिनी ओर न मुड़कर थोड़ा आगे जाकर बांयी ओर जो रास्ता निकलता है, वह साईं मंदिर ले जाएगा।
बहुत दिनों से इच्छा थी कि घघारी धाम हो आऊं। हालांकि कई वर्ष पहले भी एक बार गई थी, मगर स्वयंभू शिव के अलावा जलप्रपात और वहां का जंगल खींचता है मुझे। कहा जाता है कि भगवान राम इसी रास्ते से लंका गये थे और सबसे अद्भुत है तीन खंड का शिवलिंग, जिसके बारे में कहते है कि पहले यह सात खंडों में था और अब मात्र तीन ही दिखता है, जिसे ब्रहमा,विष्णु और महेश माना गया है।
कोरोना और मानसून के बीच हमलोग सुबह दस बजे के करीब घर से निकले। दो दिन से बारिश हो रही थी, और हमें पता था कि अभी धनरोपनी हो रहा होगी। यह दृश्य देखना वाकई अद्भुत अनुभव है। ग्रामीण महिलाएं और लड़कियां धान के बिचड़े लगाने में जुटी रहती हैं और खेतों में रंग-बिरंगा संसार उतर आता है। उनकी चुहल से रीझकर बादल भी धरती पर उतर आते हैं।
सड़क अपेक्षाकृत खाली मिला, इसलिए समय पर साईं मंदिर पहुंचे। वहां दर्शन और भोग ग्रहण करने के बाद निकले घघारी मंदिर की ओर। सड़क पर ही द्वार बना है, इसलिए परेशानी नहीं हुई। जैसे-जैसे रास्ते में बढ़ते चले गये, जंगल घना होता गया। रास्ते में रोपा करती औरतें, बकरी चराते कुछ बच्चे और तालाब में मछली पकड़ता हुआ लड़का दिखा। कुछ बच्चे नहा भी रहे थे। स्वच्छ नीला आकाश पर तैरते बादल और पतली सड़क....
जंगल की अपनी खुशबू होती है। आप जब किसी घने जंगल से गुजरते हैं तो उसी गंध का अनुभव करते हैं, जो पहले कभी किसी जंगल के करीब या भीतर जाने पर किया होगा। मगर इसे शब्दों में बता पाना कठिन है। हम उसी गंध के वशीभूत आगे बढ़ते गये और जहां रूके, वहां से पानी के कलकल की ध्वनि आ रही थी।
अब मंदिर के अलावा झरना हमें खींचने लगा। पिछली बार गई थी तो इतना पानी नहीं था। शायद बरसात की वजह से घघारी नदी, जिसे जमुनी नदी भी कहा जाता है, पानी से लबालब भरा था। इस लाॅकडाउन में भी प्रसाद की दुकानें सजी हुई थी। हमने भी डलिया में फूल-नारियल लिए और अभिषेक लिए लोटा लेकर उतरने लगे।
यह अत्यंत मनोरम स्थल है। ढलान पर नीचे उतरते ही हरहराता हुआ जलप्रपात गिरने के बाद दूर तक फैलता दिखाई दे रहा था। अभी पानी का रंग बरसात के कारण मटमैेला हो गया था। पत्थरों से टकराकर पानी की धार देखने नीचे की ओर झांके तो वहां कई लोग नहाते दिखे। सामने रामपुर का घना जंगल फैला हुआ था। चारों तरफ चट्टान जिस पर घंटों बैठकर यह नजारा देखा जा सकता है।
नजर उठाकर देखा तो लाल रंग के तीन-चार मंदिर नजर आए। वहां तक पहुंचने के लिए बांस की खप्पचियों को बांधकर एक पुल बनाया गया है, जिसके निचले सतह को पानी की धार कभी भी छूकर खुद में विलीन कर सकती थी। मगर अभी तेज बहाव का अंदेशा नहींं था क्योंकि बहुत बारिश नहीं हो रही इन दिनोंं। इसलिए उसी पुल से पार होकर मंदिर की ओर चले। बेशक यह रोमांचकारी अनुभव था और थोड़ा भय का कारण भी। अगर बांस के बीच में पैर अटका तो सीधे नीचे...मगर सावधानी से पार कर गये वाे पुल।
ऊपर मंदिर तक जाने के लिए चट्टानों पर पैर रखकर जाना पड़ा जिसके नीचे-नीचे पानी बह रहा था। यह नदी का उद्गगम स्थल माना जाता है। कुछ ही दूरी पर मंदिर था, जिसके द्वार पर ताला लगा था। वहां कोई नहीं था। एक बार तो लगा कि इतनी दूर आकर दर्शन संभव नहीं होगा, मगर वहां पड़े चप्पलों की जोड़ी ने आश्वास्त किया कि पुजारी कहीं आसपास ही होंगे। अनुमान सही साबित करते हुए पुजारी आए और हमारे आग्रह पर मंदिर का ताला खोल दिया। वैसे भी पूजा करने को हमारे अलावा कोई और नहीं था आसपास। भले ही घूमने आए कुछ जोड़े दिखे, जो फोटो खिंचवाने में व्यस्त थे।
अंदर तीन खंड के शिवलिंग के दर्शन-पूजन के बाद हम बाहर आकर पुजारी से बात करने लगे। उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वज इस मंदिर की पूजा करते थे। यहां शिव स्वयं प्रकट हुए हैं और उन दिनों नदी से झरना निकलता था जिससे प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक होता था। इस शिव की पूजा द्वापर में श्रीकृष्ण ने की थी। यहां एक दही कुंड है, जिसके बारे में कहा जाता है कि एक पत्थर पर श्री कृष्ण के घुटनों के निशान आज भी है और दही मथने और रखने के लिए दो गोलाकार गड्ढे बने हुए हैं।
ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम आए थे इसलिए घघारी के ऊपरी इलाके का नाम रामपुर पड़ा। निचले भाग में एक गुफा है, जहां भगवान राम निवास किये थे। यहां से फिर वो पालकोट होते हुए ' रामरेखा धाम' गये जहां सीता का अपहरण हुआ। यहां पास में ही मां पार्वती और हनुमान जी का एक मंदिर है। पास ही एक गुफा है जहां भक्त दर्शन करते हैं।
इन सब मान्यताओं से परे यह इलाका पहले जसपुर राजाओं के अधीन था जो बंंटवारे के बाद इटकी के लाल साहेब के हिस्से में आया। पुजारी ने बताया था कि पहले यहां तीन मुनि तपस्या करते थे। अभी इस स्थल पर जनवरी में संक्रात का मेला लगता है।
जो भी हो, अपने तरह का अनोखा शिवलिंग है यहां और जंगल के बीच पत्थर के मंदिर का होना हमारे अंदर जिज्ञासा पैदा करता है कि आखिर क्या प्रमाणिक इतिहास है यहां का। वैसे भी कई जगह हैं हमारे झारखंड में जिस पर शोध किया जाना बाकी है।
कुछ देर तक झरने की कलकल सुनकर हम लौटे तो साल के जंगल की हरियाली ने रोक लिया। मखमखी चादर बिछी थी हरे घास की और पेड़ों पर चिड़ियों की चहचहाहट। दिल ने कहा रूक जाओ यहीं...दिमाग ने सलाह दी..फिर आ जाना। बस इस घास पर बैठकर चाय-सैंडविच का लुत्फ उठाया और निकल पड़े। अब देखें दुबारा कब जाना होता है इस मनमोहक स्थान में।
कुछ देर तक झरने की कलकल सुनकर हम लौटे तो साल के जंगल की हरियाली ने रोक लिया। मखमखी चादर बिछी थी हरे घास की और पेड़ों पर चिड़ियों की चहचहाहट। दिल ने कहा रूक जाओ यहीं...दिमाग ने सलाह दी..फिर आ जाना। बस इस घास पर बैठकर चाय-सैंडविच का लुत्फ उठाया और निकल पड़े। अब देखें दुबारा कब जाना होता है इस मनमोहक स्थान में।
सुन्दर चित्र और वर्णन।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारीपरक आलेख।
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
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