तुम सा कोई नहीं
होगा भी तो, किसी की तलाश क्यूँ हो
जी लिया
जितना एक जीवन के लिए ज़रूरी होता है
महसूस किया
प्यार, शिद्दत और बेहिसाब दर्द भी
अब कुछ बचा नहीं
जिसे सोचने, परखने या फिर जी लेने की
इच्छा बाक़ी रहे
अनुभवों से समृद्ध है जीवन
बैठ जाऊँ यदि कभी जीवन में
थक कर कहीं
यादों की गठरी खोल
जी लूँगी बीते पल और
आगे बढ़ती जाऊँगी
बात बस मोहब्बत की ही तो है
तुम्हारे अलावा कोई नहीं
तुम से है, तुम से ही रहेगा..सदा ।
4 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 28/09/2018 की बुलेटिन, शहीद ऐ आज़म की १११ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुंदर रचना
आपके ब्लॉग पर काफी दिनों से आना हुआ.
आप शुरू से ही बेहतरीन हैं,
ये रचना बेहद उम्दा है .
रंगसाज़
बहुत सुन्दर
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