सिन्धु का मोह मन में लिए सीधे पहुँचे हॉल ऑफ फेम । यह शहर से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। पर्यटक यहां सुबह नौ से शाम के सात बजे तक जा सकते हैं। दोपहर मे एक से दो तक बंद रहता है। लद्दाख में भारतीय सेना की वीरता व कुर्बानियों का इतिहास समेटने वाले हॉल ऑफ फेम को एशिया के सर्वश्रेष्ठ 25 संग्रहालयों की सूची में शामिल किया गया है। यह संग्रहालय देश के पाॅँच संग्रहालयों में सबसे ऊपर है। हॉल ऑफ फेम का निर्माण लेह में 1986 में हुआ था। इसमें लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर व कारगिल में पाकिस्तान से हुए युद्धों के साथ अन्य सैन्य अभियानों में भारतीय सेना की उपलब्धियों के साथ क्षेत्र की कला व संस्कृति को भी सॅँजोया गया है। इसमें युद्ध स्मारक के साथ वार सीमेट्री, एडवेंचर पार्क बनाकर लोगों को समर्पित किया गया है।
सबसे पहले तो द्वार तक जाकर ही मन में देशभक्ति की भावना ठाठें मारने लगी। अंदर तस्वीरों के द्वारा लद्दाख का भौगोलिक विवरण देखने को मिला। लद्दाख को ' लैंड ऑफ हाई पासेस' के नाम से जाना जाता है अर्थात उच्च मार्गों की भूमि कह सकते हैं। देश के उत्तरी क्षेत्र में, लद्दाख के पास भारत में सबसे ऊंचे नहीं हैं बल्कि दुनिया भर में सबसे ऊंचे पास के रूप में माना जाता है। लद्दाख में 20 पास हैं जो इसे उच्च पास की भूमि बनाता है। "ला" का अर्थ है पास और "ढक" का अर्थ कई होता है।
यहां हमने लद्दाख की संस्कृति, वनस्पतियों और जीवों, इतिहास और तथ्यों के बारे में जाना। कई सवाल थे, कई नाम थे जेहन में जिसका जवाब और अर्थ हमे यहां ओर मिला। यह भी पता चला कि लद्दाख के नामग्याल राजवंश की स्थापना बासगो राजा, भगन ने की थी। पारंपरिक वेशभूषा और रीति-रिवाज एवं यहां हो रहे उत्पाद की भी पूरी जानकारी दी गई थी।
इससे निकलकर हम 'वार गैलरी', ' हीरोज गैलरी' की ओर बढ़ें। भारतीय सेना ने संग्रहालय के अंदर उन सैनिकों की तस्वीरें और चीजें रखी हैं। गैलरी में 1962 के भारत-चीन से हुए युद्ध का पूरा विवरण है। यहां आप 1999 के कारगिल युद्ध की तस्वीरें देखेंगे और शहीदों के बारे में जानकर फख्र से अपना सीना चौड़ा होता भी महसूस करेंगे। शहीदों की तस्वीर देख एक तरफ हमारी आंख नम हो आई तो दूसरी ओर युद्ध में प्रयुक्त हथियार देख रोमांच होने लगा।
शहीदों के स्क्रैप बुक, पाकिस्तरनी सिपाही की चिट्ठी भी पढी हमने। इतनी चीजें की आप गर्व कर सके कि एक भारतीय हैं। ऐसे सैनिकों को नमन जिनके कारण हम आज सुरक्षित है और वह कुर्बान हो गए। कप्तान विजयंत थापर जिन्हें कारगिल युद्ध शहीद और वीर चक्र (बहादुर पुरस्कार) प्राप्त हुआ था, उन्होंने युद्ध के लिए आगे बढ़ने से पहले अपने परिवार को एक पत्र लिखा था, जिसे 'द लास्ट पोस्ट' नामक दीवार पर भी प्रदर्शित किया गया था।आगे एक स्मारिका कॉर्नर है। यहां मग, कैप्स, शॉल और टी शर्ट प्राप्त विक्रय के लिए रखे गए थे। मैंने कुछ शॉल और कपडे के बैग खरीदे ताकि कुछ यादगार मेरे पास रहे।
अब हम पीछे की ओर निकले। यहां युद्ध स्मारक के साथ वार सीमेट्री और एडवेंचर पार्क बना हुआ है। कुछ देर वहां गुजारा और तस्वीरे भी ली। बहुत तेज हवा चलने लगी थी। मगर सेना की शौर्य गाथा जान पाए यहाँ आकर। मेरा मानना है कि हर भारतीय को एक बार लेह जाकर हॉल ऑफ फेम जरूर जाना चाहिए। खुद-ब-खुद आपके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत हो जाएगी।
क्रमश:- 19
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