Tuesday, March 27, 2018

गहरी हैं आँखें तुम्हारी...


भिंचे होंठों में
छुपी है जो मुस्कान
वो आँखों से बजाहिर है
यूँ न देखा करो
प्यार पर बंदिशे नहीं होतीं
उँगलियाँ मचलतीं हैं
सुलझे
बाल बिखराने को
शब्दों और आँखों से
अलग बातें न करो
कह तो दिया
हाँ, गहरी हैं
आँखें तुम्हारी
पढ़ना मगर हमें भी आता है ।

9 comments:

Lokesh Nashine said...

वाह्ह्ह्... बहुत खूब

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ...
आखों का लिखा पढना फिर उँगलियों से बयान करना ...
गहरी रचना ...

विश्वमोहन said...

सुन्दर!!!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

सुंदर !

Meena sharma said...

खूबसूरत !

पल्लवी गोयल said...

सुंदर भाव ।

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक २९/०३/२०१८ की बुलेटिन, महावीर जयंती की शुभकामनायें और ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

rajshree said...

Bahut hee khoob surat rachna mam...
aap mere blog per bhi sadar amantrit hai...

http://swayheart.blogspot.in/2018/03/blog-post.html

Alaknanda Singh said...

ये आंखें भी तो आपकी ही हैं रश्‍मि जी