Sunday, May 14, 2017

माँ....




बरतन-बासन मलती माँ
चूल्‍हा-चौका- करती माँ
सांझ ढले फूंक-फूंक कर
लकड़ी के चूल्‍हे सुलगाती माँ

सुबह बि‍स्‍तर से उठाती माँ
चाय-रोटी खि‍लाती माँ
तेल चुपड़कर बालों मेें
लाल रि‍बन से दो चोटी बनाती माँ

दोपहर पंख्‍ाा झल-झलकर
पेट भर-भर खाना खि‍लाती माँ
दि‍न में जबरदस्‍‍‍‍‍‍‍ती सुलाकर
शाम को बाहर खेलने भगाती माँ

खेल-खि‍लौने जब कम पाती
कपड़े के सुंदर गुडि‍या बनाती माँ
संग-संग हमारे बैठ कर
गुडि‍‍‍‍याें का ब्‍याह रचाती माँ

कभी राख से बरतन मांजती
कभी चि‍मनी से राख छुटाती माँ
सब दि‍खाती, सब समझाती
पर हमें केवल पढ़ने बि‍ठाती माँ

कुएं से पानी भर-भर कर
हमें और पौधों को नहलाती माँ
पेड़ से अमरूद तोड़ने को
हम सी बच्‍ची बन जाती माँ

बड़ी, मुरमुरे और आम के अचार
अपने हाथों से खूब बनाती माँ
रोज बनाती स्‍वादि‍ष्‍ट खाना
घर भर को तृप्‍त कराती माँ

चट्टान सी खड़ी रहती है पीछे
मेरे सब सपनों को सहलाती माँ
दे ममता की छांव, लगा नजर का टीका
हर बुरी बला से मुझको बचाती माँ

जब भी रूठी मैं कि‍सी भी बात से
सब आगा-पीछा समझाती माँ
खाना परसकर थाली में
कौर- कौर हाथ्‍ाों से खि‍लाती माँ

स्‍वेटर बुनती, मेजपोश काढ़ती
कभी-कभ्‍ाी कहीं गुम हो जाती माँ
जब पढ़ती  गुलशन नंदा की कि‍ताबें
कुछ देर को हमें भूल सी जाती माँ

आंख खुलने से रात सोने तक
चक्‍करघि‍न्‍नी सी नाचती माँ
रोटी पकाती आग के सामने
पीतल के लोटे सी चमकती माँ

कि‍तना कुछ है कहने को
कुछ नहींं कह पाती तुमसे माँ
वि‍दा कर दिया अपने ही घर से मुझको
पर बचपन अपना कभ्‍ाी नहींं भूल पाती माँ ।

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 15 मई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति

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  3. हृदयविदारक रचना,,,मन को भावुक कर गई।।।

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  4. फिर भी कई नासमझ लोग माँ को कभी नहीं समझ पाते हैं '
    मर्मस्पर्शी रचना

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  5. बहुत ख़ूब! सुंदर सजीव वर्णन।

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  6. माँ....
    बहुत ही सुन्दर, सार्थक ,सप्रेम अभिव्यक्ति...

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-05-2017) को
    टेलीफोन की जुबानी, शीला, रूपा उर्फ रामूड़ी की कहानी; चर्चामंच 2632
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  8. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-05-2017) को
    टेलीफोन की जुबानी, शीला, रूपा उर्फ रामूड़ी की कहानी; चर्चामंच 2632
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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