Wednesday, May 3, 2017

फिर खिला है अमलतास


घर के बाहर
फिर खिला है
अमलतास
सूनी दोपहर
घर है उदास
पीले गजरे
झूम रहे कंचन वृक्ष में

सूनी देहरी को
किसी के आने की है
आस
घर के बाहर
फिर खिला है
अमलतास


4 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व हास्य दिवस - अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर।

Sudha Devrani said...

बहुत सुन्दर...

'एकलव्य' said...

सुंदर रचना !आभार