लालसा की होलिका में....
प्रह्रलाद की तरह
आज
हर इंसान जल रहा है
माया-मोह-लालसा
की होलिका में...
इन्हें किसी
हिरणकश्यप ने
अपने अंहकार के वशीभूत हो
आग में
जलने को विवश
नहीं किया है....
आज के इंसान को
मुक्ति नहीं
भोग की है कामना
इसलिए तो लोग
अपने हाथों
लालच की होलिका
बनाते हैं
और खुशी-खुशी
जल जाते हैं.....।
5 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 13 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर। होली की शुभकामनाएं ।
सुन्दर शब्द रचना
होली की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
आज के युग पर आधारित कविता है ,सुंदर ।
hume kuch मार्गदर्शक कीजिए,,,,,
देखे आप
नर्मदा नदी के साथ अन्य नदियों को प्रदुषण मुक्त बनाने हेतु जागरूक कर रहै है हम लोगो
savenarmadasavelife.blogspot.com
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